डिलीवरी की डेट बता दो, सड़क की बात बाद में!” – बीजेपी सांसद का जवाब

सत्येन्द्र सिंह ठाकुर
सत्येन्द्र सिंह ठाकुर

सीधी जिले की गर्भवती महिला लीला साहू ने जब गांव तक सड़क बनवाने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया था, तब किसी को अंदाज़ा नहीं था कि उसका जवाब “डिलीवरी डेट बता दो” होगा। हां, आपने सही पढ़ा! नेताओं ने सड़क पर नहीं, बल्कि लीला के प्रसव पर फोकस कर लिया।

सांसद राजेश मिश्रा का “जनसेवा स्टाइल”

बीजेपी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा का कहना है, “चिंता की क्या बात है, एंबुलेंस है, अस्पताल है। डिलीवरी की डेट बता दो, हम उठा लेंगे।” सड़क की बात छूट गई, और देश की स्वास्थ्य व्यवस्था का मान बढ़ गया।

उनका आगे कहना – “हम सड़क नहीं बनाते, इंजीनियर बनाते हैं। ठेकेदार बनाते हैं।”
शुक्र है, ये नहीं बोले कि “रास्ते तो भगवान बनाते हैं!”

मंत्री जी का बयान – “हर पोस्ट पर सड़क नहीं बनती भाई!”

PWD मंत्री राकेश सिंह का कहना है कि अगर हर सोशल मीडिया पोस्ट पर सड़क बनानी पड़ी, तो “हम बजट लेकर ऑनलाइन ही बैठ जाएंगे।”
वाह मंत्री जी! सड़क का जिम्मा भले आप पर हो, मगर जवाबदेही का कांटा सीधे जनता के दिल में चुभ गया।

लीला अकेली नहीं – गांव की 8 महिलाएं सड़क की मांग पर एकजुट

खड्डी खुर्द गांव की 8 गर्भवती महिलाएं अब लीला के साथ मैदान में हैं। ये महिलाएं सड़कों की हालत से परेशान होकर वीडियो और रील बना रही हैं।
“मोदी जी, 29 में 29 सांसद दे दिए, अब एक सड़क दे दो!” – लीला की गुज़ारिश आज हर गांव की कहानी बन चुकी है।

एक साल में सिर्फ सर्वे, सड़क ZERO

1 जुलाई 2024 को वीडियो बना, 3 जुलाई को आश्वासन मिला, लेकिन “सड़क का नाम-ओ-निशान नहीं”। मार्च में सर्वे हुआ, मगर सड़क बनने की बजाय फिर एक और मॉनसून आ गया।
अब तो हाल ये है कि एम्बुलेंस नहीं, ट्रैक्टर चाहिए मरीज निकालने के लिए।

सड़क बनाओ या ट्रेंडिंग वीडियो दो!

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो साफ है – “अगर तुम सड़क चाहते हो, तो पहले ट्रेंडिंग बनो!”
और हां, डिलीवरी डेट भी साथ में बताओ, क्योंकि VIP ट्रीटमेंट तभी मिलेगा!

नेताजी से सवाल

लीला ने सड़क मांगी, नेताजी ने हॉस्पिटल ऑफर किया। कभी-कभी लगता है, इस देश में विकास सड़क से नहीं, स्क्रिप्ट से होता है। और हर आम आदमी को कैमरे के सामने आना पड़ता है, तभी कोई सिस्टम जागता है।

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